अलविदा रुत बरसात 





देखा है क्या मन की आँख से कभी बरसा की रुत का वह  दिलकश नजारा

नभ को लपेटे बादल  की मटमैली चदरिया, रिमझिम वारिश का संगीत प्यारा

गगन और धरती का यह अनोखा मिलन; बिजली की चमक, बादलों का नगाड़ा

पहन हरयाली का पैराहन अनूठा, कुदरत  बन गयी  हो मानों दो प्रेमियों का अखाड़ा

कभी निशा के दामन में छुप, कभी सूरज के मुखड़े पर बिठा के काले बादल का पहरा

आकाश आसक्त प्रेमी, धरा नव-प्रेमिका घबराई सहमी- क्या खूब है प्रेम दोनों का गहरा !

पेड़ झुके और गुमसुम, गंभीर पर्वत, पंछी चंचल, सुरीले: देखते ही बनती है यह छटा सुहानी

दो आशिकों  की मानों यह हो आँख-मिचोनी, यह मदमस्त क्रीड़ा, यह अद्भुत  कहानी

 

भोर-बरसात भी है सपने के पन्ने पे  लिखी इबादत- कुदरत बन गयी हो जैसे कवि कोई मतवाला

पहन उतरे  है जब यह मखमल की चुनरिया, चढ़ा हो जिसमें बादल का रंग औ सूरज का उजाला

फैला के जब अपना दामन धरा पे, निकल पड़ती है ठुमक ठुमक, हो जैसे एक परी सी दुल्हनिया

खिल उठता है मन देख उसको हर शिखा का, हैं पेड़ झूमते, गाते  हैं पंछी देख के यह सजनिया

महकने  लगते हैं  फूल मालती के, नीली पांखुड़ी गिरती है डालियों से नवेली के पथ को सजाने

कहती है नदिया उफनती, री भोर, रुको तो , सुनती जाओ मेरा भी संगीत मधुरिम, किसी बहाने

छोड़ निद्रा, हिमालय भी है मुस्काता कहता बादलों को हटो तो, कहना है मुझको भी सुबह को सलाम

बादल बेचारे लगते पूछने आसमान को: भला किसकी सुने हम? हमारा तो है बस बरसना  ही काम

   *

पर काँप उठती है रूह सुन कर दहाड़, दुखता है मन देख बरसात का दूसरा रंग रूप घिनोना भयंकर

दरकते पहाड़,  गिरते मकान, कहीं  बाढ़, तो लाशें कहीं- जमीन बन जाती है जब जैसे मौत का ही समंदर

कितना आसान है इस इंसान को बस तुम्हें कोसना,  पर क्या दोष है रुत-बरसात इसमें आखिर तुम्हारा

आती हो तुम तो वरदान बन कर, प्यासी, झुलसी धरा की रूह को रिझाने;  दोष है तो केवल हमारा

तुम तो हो किसान की आस,  पंछी, पंखेरू, पेड़-पुष्प की मुसकान , प्रेम-संगीत, कवि का रोचक संसार

मानव जब बन जाये दानव, तभी थक-हार कर गुस्सायी कुदरत दिखाये रूप अपना विराट बस हो के लाचार

कहीं इमारत या माल’, कहीं सड़क या डैम; रोकना ही होगा  डोज़र’, जेसीबी  का बेटोक  इसके सीने पे वार

लेना ही होगा वचन मिल कर हमें इस जाती बरसात कि सहेंगे न और कुदरत से हो रहा यह नितदिन बलात्कार I

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Comments

  1. अत्यंत सुंदर हृदयग्राही रचना🌹सुंदर संदेश से परिपूर्ण। इस बार बरसात कुछ ढ़ीली हीरही आदरणीय🙏👌🌹😊

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  2. Wow...Beautiful expression of thoughts, nicely placed and carefully picked words.

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