यूं बोली मैना प्यारी


मैं हूँ मैना कमसिन न्यारी, ठुमक ठुमक चलूँ इधर उधर

आँगन हो या बगिया कोई, हर कीट पर रहती मेरी नज़र

गालों में देखो पीला ब्यूटी स्पॉट; और भूरे, मखमली पंख-सजा है मेरा बदन

देख के मेरे पैर और चोंच सुनहरी, मोरों को भी, सुना है,  है होती बहुत जलन

और उमड़ घुमड़ जब मैं फैलाऊँ अपने पर, देखें है क्या मेरे दर्पण उज्जवल दो ?

सारिका, पीतनेत्रा भी मेरे नाम, पर भाये ना मुझे, कलहप्रिया कह के पुकारे जो

बहुत बातूनी हूँ माना, और शाम ढले, हम मैनाओं की चै-चें है भला किसको भाये ?

पर हूँ  सच्ची दोस्त चट कर जाऊं कीट सभी, जो खेतों में फसलों को हानि पहुंचाए

और सुनो, जब दो प्रेमी ले के मेरा नाम, गाएं धुन, जैसे - “तू है मेरी मैना प्यारी”

तो मैं भी झूमूं और दुआ करूं कि कुदरत और मानव की बनी रहे सदा आपस में यारी I

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